पंचतत्व में विलीन हुईं मां हीराबा, प्रधानमंत्री मोदी ने भाइयों के संग दी मुखाग्नि

Heeraben Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा मोदी (Heeraben Modi) 100 साल की उम्र में आज सुबह 3:30 पर उनका निधन हो गया। अचानक तबीयत बिगड़ने पर इसी हफ्ते उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता हास्पिटल में भर्ती कराया गया, बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी जी उनसे मिले।

Mother Hiraba Modi

मोदी की आंखें हुईं नम-

हीराबा मोदी दुनिया के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से एक की मां थीं, हीराबा का जन्म 18 जून 1922 को गुजरात के मेहसाणा में हुआ था, उनका विवाह कम उम्र में हो गया था, पति दामोदरदास मूलचंद मोदी थे, जो वडनगर में एक चाय विक्रेता थे, उनके 5 बेटे और 1 बेटी हुई, उनकी संतानें क्रमशः – अमृत मोदी, पंकज मोदी, नरेंद्र मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी और बेटी वसंती बेन हंसमुखलाल मोदी।

इनमें नरेंद्र मोदी से बडे दो भाइयों में से तीसरे नंबर पर हैं साल 2014 में मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने, साल 2015 में, जब नरेंद्र मोदी का फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के साथ एक चर्चित इंटरव्‍यू हुआ था, तो वह अपनी मां हीराबा मोदी के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए थे, पीएम मोदी ने अपनी मां को “अपने जीवन का स्तंभ” बताया था।

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कई तस्‍वीरों ने खींचा दुनिया का ध्‍यान

प्रधानमंत्री मोदी ने राजधानी नई दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास पर मां हीराबा मोदी से मुलाकात की, जहां कई दिन एक साथ रहे, उसके बाद नवंबर 2016 में, हीराबा तब सुर्खियों में आईं, जब उन्‍होंने अपने बेटे के नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया, वह एटीएम की कतार में भी खड़ी नजर आईं, पिछले साल, वह फिर से सुर्खियों में आ गई जब उन्‍होंने कोविड-19 का टीका लगवाया, दुनिया के अन्य बुजुर्गों को टीका-विरोधी अफवाहों के बीच हीराबेन ने टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया।

इस साल 100वां जन्‍मदिन मनाया

18 जून 2022 को उनका 100वां जन्‍मदिन मनाया गया, तब मोदी ने अपनी मां के नाम एक ब्लॉग लिखा जिसमें उन्होंने अपनी मां के जन्म से लेकर अब तक के सारे बड़े वृतांत लिखे, मोदी ने लिखा था- “मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं, कि मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने 100वें साल में प्रवेश कर रही हैं, यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है, पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते, पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं, मां आज भी वैसी ही हैं, शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है, लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है”

संघर्ष से भरा रहा जीवन

प्रधानमंत्री मोदी का मां हीराबा के प्रति प्रेम जगजाहिर है। वो अक्सर अपनी मां की बातों को याद किया करते हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में हीराबेन का जिक्र भी किया। हीरा बा के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनकी मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर के पालनपुर में हुआ था। ये वडनगर के काफी करीब है। हीराबा की मां यानी पीएम मोदी की नानी का स्पेनिश फ्लू महामारी से कम आयु में ही निधन हो गया था। हीराबेन को अपनी मां का चेहरा भी याद नहीं था। हीराबा ने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया।

हीराबा की संघर्ष की कहानी

हीराबा के लंबे समय तक जीवित रहने का राज उनके द्वारा किया गया संघर्ष था। शुरुआती काल से लेकर अब तक हीराबा की दिनचर्या काफी अनुशासित रही। प्रधानमंत्री मोदी अभी भी अपनी मां से सीखने की कोशिश करते हैं। हीराबा का जन्म पालनपुर में हुआ था, शादी के बाद वह वडनगर में रहने लगी थीं। हीराबा की उम्र महज 15-16 साल थी, तब उनकी शादी हुई थी। घर की आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिल पाया था। लेकिन वह अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए दूसरे के घरों में छोटे- मोटे काम करने के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने फीस भरने के लिए कभी किसी से भी उधार पैसे नहीं लिए। हीराबा चाहती थीं कि उनके सभी बच्चे पढ़लिखकर उच्च पदो पर चयनित हो।

बच्चों के बीमार होने पर खुद घरेलू उपचार करती थीं

प्रधानमंत्री मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने एक Interview के दौरान बताया था कि मां हीराबा सभी तरह के घरेलू उपचार में माहिर थीं। वडनगर के छोटे बच्चों और महिलाओं का इलाज किया करती थीं। कई महिलाएं अपनी परेशानी दूसरों को बताने के बजाय हीराबा को बताने में शर्म महसूस नही करती थी। मेरी मां जरूर अनपढ़ थीं लेकिन पूरा गांव उन्हें डॉक्टर के नाम से जानता था।

दिनभर काम में व्यस्त रहती थीं हीराबा

प्रह्लाद मोदी ने एक Interview के दौरान बताया था कि उनकी मां सुबह और शाम दो बार कुएं से पानी भरकर लाती थीं। कपड़े धोने के लिए तालाब में जाना पडता था। उन्होंने अधिकांश समय घर पर ही खाना पसंद था। बाहर के खाने से हमेशा परहेज किया करती थीं। मां हीराबा को आइसक्रीम खाना काफी पसंद था। वह इसके लिए कभी मना नहीं करतीं। वह हमेशा कामों में व्यस्त रहती थीं। उनकी दिनचर्या सुबह चार बजे से शुरु हो जाती थी। जिसके बाद वह सबसे पहले घर का काम निपटाती थीं। फिर दूसरों के घरों में काम करने जाती थीं। वह बच्चे को पालने के लिए काफी कठिन परिश्रम करती थीं।

हीराबा ने बचपन में ही अपनी मां को खो दिया था

हीराबा के 100वें जन्मदिन पर मोदी जी ने अपने ब्लॉग में जानकारी देते हुए कहा था कि उनकी मां हीराबा का जन्म गुजरात के मेहसाणा के विसनगर के छोटे से गाँव पालनपुर में हुआ था, जो वडनगर के काफी करीब है। छोटी सी उम्र में, उसने अपनी मां की मृत्यू स्पेनिश फ्लू महामारी में खो दिया। हीराबा को अपनी माँ का चेहरा या उनकी गोद का आराम भी ठीक से याद नहीं है। उन्होने अपना पूरा बचपन अपनी माँ के बिना बिताया। वह अपनी मां की गोद में हम सब की तरह आराम नहीं कर सकती थी। वह स्कूल भी नहीं जा सकती थी और पढ़ना-लिखना सीख सकती थी। उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता था।

5 दिसंबर को गुजरात चुनाव में वोट डाला था

हीराबा चुनावों में स्वयं वोट डालने भी जाती थीं, उन्‍होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी मतदान किया था, इस साल गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के दूसरे चरण में गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पास रायसन गांव में उन्‍होंने वोट डाला, वह पंकज मोदी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र तक पहुंचीं थीं, मोदी जी भी तब घर पर जाकर उनसे मिले और उनका आशीर्वाद लिया, उसके बाद आज 30 दिसंबर का दिन है, जब सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ट्वीट कर अपनी मां के निधन की खबर दुनिया को दी।

मां के निधन पर नरेंद्र मोदी ने लिखा- “शानदार शताब्दी का ईश्वर के चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है,” उन्‍होंने कहा कि मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से,” अब उनकी मां के प्रति दुनियाभर से शोक-संवेदनाएं जताई जा रही हैं………..

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